8th Pay Comission: 8वें वेतन आयोग को लेकर सरकारी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। जनवरी 2025 में जब से केंद्र सरकार ने इस आयोग के गठन का संकेत दिया है तब से लेकर अब तक लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स के मन में एक ही सवाल है आखिर कब आएगा ऑफिशियल ऐलान और सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी?
फिटमेंट फैक्टर को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं और साथ ही इस बार भत्तों में भी बड़े बदलाव की बातें सामने आ रही हैं। हालांकि अभी तक न आयोग के सदस्यों की सूची जारी हुई है और न ही इसके नियम और शर्तों (ToR) को लेकर कोई ठोस घोषणा हुई है। लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं वो काफी कुछ कह रहे हैं।
भत्तों में हो सकते हैं बड़े बदलाव, HRA और DA की भी चर्चा
मार्च 2025 में विज्ञान भवन में हुई SCOVA की बैठक में साफ इशारा मिला कि 8वां वेतन आयोग सिर्फ वेतन बढ़ाने की बात नहीं करेगा, बल्कि कई मुख्य भत्तों की समीक्षा और बदलाव की सिफारिश भी करेगा।
इनमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), ट्रैवल भत्ता, महंगाई भत्ता (DA) और मेडिकल अलाउंस जैसे भत्ते शामिल हैं। खासतौर पर पेंशनर्स के लिए फिक्स मेडिकल अलाउंस को 1000 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये करने का प्रस्ताव भी बैठक में पास किया गया।
कई पेंशनभोगियों ने मौजूदा 1000 रुपये की राशि को बेहद कम बताया था, खासतौर पर आज की बढ़ती महंगाई के लिहाज से। ऐसे में इस बढ़ोतरी को जरूरी माना जा रहा है।
सैलरी में कितना बढ़ सकता है फर्क?
7वें वेतन आयोग में जो फिटमेंट फैक्टर 2.57 था उसके आधार पर न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये तय हुआ था। अब चर्चा है कि इसे बढ़ाकर 2.8 या 3.0 किया जा सकता है।
अगर ऐसा होता है तो शुरुआती सैलरी 26,000 से 27,000 रुपये तक पहुंच सकती है। वहीं पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 25,000 रुपये तक जा सकती है। हालांकि ये सब अभी कयास भर हैं क्योंकि सरकार की तरफ से कोई पुष्टि नहीं हुई है।
क्या 1 जनवरी 2026 से लागू होगा वेतन आयोग?
SCOVA की बैठक में यह भी सुझाव दिया गया है कि इस आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जाएं। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि आयोग के गठन से लेकर सिफारिश लागू होने तक 18 से 24 महीने का वक्त लग सकता है। ऐसे में संभव है कि तारीख आगे खिसक जाए।
इसके अलावा, एक और बड़ा बदलाव जो चर्चा में है वह है महंगाई भत्ते (DA) को मूल वेतन में शामिल करने की योजना। इससे कुल सैलरी में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन भविष्य में DA की बढ़ोतरी की गुंजाइश थोड़ी सीमित हो सकती है।
कुछ भत्ते बंद भी हो सकते हैं
रिपोर्ट्स बताती हैं कि सरकार कई पुराने और अप्रासंगिक भत्तों को खत्म करने की तैयारी में है। साथ ही, एचआरए की दरों को शहर के अनुसार बदला जा सकता है मेट्रो शहरों में दरें ज़्यादा हो सकती हैं, जबकि छोटे शहरों में कुछ कटौती भी संभव है।