DA Hike: सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों और पेंशन लेने वालों की निगाहें एक बार फिर महंगाई भत्ते पर टिकी हैं। हर साल दो बार DA यानी Dearness Allowance और DR यानी Dearness Relief में बढ़ोतरी होती है एक बार जनवरी में और दूसरी बार जुलाई में।
जनवरी की किस्त तो मिल चुकी है लेकिन अब सभी को इंतजार है जुलाई की बढ़ोतरी का। सवाल है कि इस बार कितना बढ़ेगा DA, और इसकी घोषणा कब की जाएगी?
क्या 7वें वेतन आयोग के तहत यह आखिरी बढ़ोतरी होगी?
ऐसा माना जा रहा है कि जुलाई 2025 में होने वाली यह बढ़ोतरी 7वें वेतन आयोग के तहत अंतिम हो सकती है। इसकी वजह ये है कि सरकार 2026 से 8वें वेतन आयोग को लागू करने की तैयारी में है। ऐसे में यह DA हाइक लाखों केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक अहम मौका बन जाता है।
महंगाई सूचकांक क्या कहता है?
DA की दरें तय करने में जिस आंकड़े की सबसे अहम भूमिका होती है वो है AICPI-IW यानी ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स। मई 2025 में यह इंडेक्स बढ़कर 144 पर पहुंच गया है।
मार्च में यह 143 था और अप्रैल में 143.5 यानी लगातार तीन महीने इसमें बढ़त देखी गई है। इसका सीधा मतलब है कि महंगाई दर बढ़ रही है और उसी के साथ DA में बढ़ोतरी की उम्मीद भी पुख्ता हो रही है।
कितना बढ़ सकता है महंगाई भत्ता?
अब तक के ट्रेंड को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार DA में 3% की बढ़ोतरी हो सकती है। अगर सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो कर्मचारियों और पेंशनर्स का DA मौजूदा 55% से बढ़कर 58% हो जाएगा।
हालांकि ये अब तक सिर्फ अनुमान हैं। अंतिम फैसला केंद्र सरकार की ओर से ही लिया जाएगा, जिसकी औपचारिक घोषणा अभी नहीं हुई है।
कब होगी घोषणा? और पैसा कब मिलेगा?
तकनीकी रूप से देखा जाए तो नई दरें 1 जुलाई 2025 से लागू मानी जाएंगी। लेकिन आमतौर पर सरकार इसका ऐलान सितंबर या अक्टूबर में त्योहारों के मौसम से ठीक पहले करती है।
जब घोषणा होती है तो उस महीने की सैलरी या पेंशन में जुलाई से बढ़े हुए DA का एरियर भी जोड़कर दिया जाता है। यानी जो इंतजार कर रहे हैं उन्हें थोड़ा धैर्य रखना होगा।
DA कैसे तय होता है?
DA की गणना पिछले छह महीनों के औसत AICPI-IW डेटा के आधार पर की जाती है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार इसका फार्मूला तय होता है।
इस भत्ते का मकसद वेतन और पेंशन में महंगाई के असर को संतुलित करना होता है, ताकि बढ़ती महंगाई से कर्मचारियों और पेंशनर्स की जेब पर ज़्यादा असर न पड़े।