DA Hike Update: केंद्रीय कर्मचारियों को एक बार फिर मायूसी हाथ लग सकती है। जिस महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी का इंतज़ार वो कई महीनों से कर रहे थे वो शायद इस बार भी उम्मीदों पर खरी न उतरे।
दरअसल मार्च 2025 में जब पिछली बार डीए बढ़ा था तब सिर्फ 2 प्रतिशत की मामूली बढ़त हुई थी। यह फैसला जनवरी से लागू तो हुआ लेकिन कर्मचारियों को इससे कोई खास राहत नहीं मिली। उनका डीए 53 फीसदी से बढ़कर सिर्फ 55 फीसदी पहुंचा और कई कर्मचारी संगठनों ने इस पर नाराज़गी भी जताई थी।
अब जुलाई 2025 की बढ़ोतरी को लेकर एक बार फिर नजरें सरकार पर टिकी हैं। सबको उम्मीद है कि इस बार कुछ बड़ा ऐलान होगा लेकिन जो खबरें फिलहाल सामने आ रही हैं वो बहुत हौसला नहीं देतीं।
जुलाई में भी सिर्फ 2-3 फीसदी बढ़त की उम्मीद?
मीडिया रिपोर्ट्स और कुछ विशेषज्ञों की मानें तो जुलाई में भी डीए में 2 से 3 प्रतिशत तक की ही बढ़ोतरी हो सकती है। यानी अगर ऐसा हुआ तो डीए 55% से बढ़कर 57 या ज्यादा से ज्यादा 58 फीसदी तक जाएगा।
ये वृद्धि 1 जुलाई से लागू मानी जाएगी लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा दिवाली से पहले की जाएगी। इसका मतलब ये हुआ कि जिस भारी भरकम डीए हाइक की उम्मीद की जा रही थी वो शायद हकीकत में इतनी खास न हो।
इस बात को लेकर कर्मचारी वर्ग में थोड़ी बेचैनी भी है क्योंकि माना जा रहा है कि जुलाई 2025 की ये बढ़ोतरी सातवें वेतन आयोग के तहत आखिरी डीए हाइक हो सकती है। आठवें वेतन आयोग को लेकर अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है जिससे चिंता और गहराती जा रही है।
महंगाई दर में गिरावट बनी रुकावट
अब सवाल उठता है कि डीए में लगातार कम बढ़ोतरी क्यों हो रही है? तो इसका सीधा जवाब है महंगाई दर में गिरावट। भारत में खुदरा महंगाई दर फिलहाल 2.82% के आसपास है जो पिछले छह सालों में सबसे कम है। इससे पहले फरवरी 2019 में यह आंकड़ा 2.57% था। खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी आने से यह कमी देखी जा रही है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी महंगाई को ध्यान में रखते हुए जून में अपनी नीति बैठक में रेपो रेट में 0.50% की कटौती कर दी है। इसके अलावा थोक महंगाई दर भी मई में गिरकर 0.39% पर आ गई है जो 14 महीने का सबसे निचला स्तर है। जब देश में महंगाई कम होती है तो सरकार उसी के हिसाब से डीए में बदलाव करती है। यानी जितनी कम महंगाई उतना कम डीए हाइक।
कर्मचारियों की उम्मीदें अब भी बाकी हैं
हालांकि परिस्थितियां जैसी भी हों कर्मचारी वर्ग में अब भी थोड़ी उम्मीद बाकी है कि सरकार त्योहार से पहले कुछ राहत देने वाला फैसला करेगी। लेकिन एक बात तो तय है अब डीए सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं रहा बल्कि कर्मचारियों की जिंदगी से सीधा जुड़ चुका है।
जब वेतन और खर्चों के बीच संतुलन बिगड़ने लगता है तो हर छोटा बदलाव भी बड़ा असर छोड़ता है। ऐसे में महंगाई भत्ता सिर्फ एक नंबर नहीं बल्कि लाखों परिवारों के बजट से जुड़ा मामला है।