SBI vs HDFC: खुद के घर में रहने का सपना आज हर किसी के मन में पल रहा है। लेकिन ये सपना आसान नहीं है, खासकर तब जब घर की कीमतें हर साल बढ़ती जा रही हों। ऐसे में बहुत से लोग घर खरीदने के लिए बैंक से होम लोन लेने का रास्ता अपनाते हैं।
पर अब सवाल ये उठता है कि इतने सारे बैंकों में से किसका होम लोन सस्ता है? खासकर जब देश में एक तरफ है SBI जैसा सरकारी बैंक और दूसरी तरफ HDFC जैसा बड़ा प्राइवेट बैंक। अगर आप भी 25 लाख रुपये का होम लोन लेने की सोच रहे हैं और यह जानना चाहते हैं कि किस बैंक से लेने पर EMI कम पड़ेगी तो यह जानकारी आपके लिए बेहद काम की है।
SBI का होम लोन कितना सस्ता?
SBI यानी भारतीय स्टेट बैंक जो देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है वो अपने ग्राहकों को होम लोन की शुरुआत करता है करीब 8 प्रतिशत सालाना ब्याज दर से। यह दर आपके सिबिल स्कोर और प्रोफाइल पर भी निर्भर करती है लेकिन हम फिलहाल औसतन दर की बात कर रहे हैं।
अगर आपने SBI से 25 लाख रुपये का लोन लिया और इसकी अवधि 20 साल रखी तो आपको हर महीने लगभग 20,911 रुपये की EMI चुकानी होगी। अब अगर इसे जोड़कर देखा जाए तो 20 साल में आप बैंक को करीब 50 लाख 18 हजार रुपये लौटाएंगे। इसमें करीब 25 लाख रुपये तो सिर्फ ब्याज के रूप में ही जाएंगे।
HDFC का लोन थोड़ा महंगा?
अब बात करते हैं देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC की। यहां होम लोन की शुरुआती ब्याज दर है करीब 8.45 प्रतिशत। ये दर भी आपके सिबिल स्कोर प्रोफेशन और लोन अमाउंट के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है।
अगर आप HDFC से 25 लाख का होम लोन लेते हैं और वह भी 20 साल की अवधि के लिए, तो हर महीने की EMI करीब 21,617 रुपये होगी।
इस हिसाब से 20 साल में आपको बैंक को कुल मिलाकर लगभग 51 लाख 87 हजार रुपये लौटाने होंगे। इसमें से करीब 26 लाख 87 हजार रुपये सिर्फ ब्याज में जाएंगे।
दोनों में कौन बेहतर?
अब अगर सीधे तुलना करें तो SBI की EMI लगभग 700 रुपये कम पड़ती है और कुल रीपेमेंट में भी करीब 1 लाख 70 हजार रुपये का फर्क है।
यानी अगर आप सस्ती EMI और कम ब्याज में घर खरीदना चाहते हैं, तो SBI आपके लिए थोड़ा बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि हर किसी की प्रोफाइल सिबिल स्कोर और जरूरतें अलग होती हैं, इसलिए फाइनल फैसला लेने से पहले दोनों बैंकों की शर्तें, प्रोसेसिंग फीस और सुविधाओं को अच्छी तरह समझना जरूरी है।
कई बार प्राइवेट बैंक तेजी से लोन प्रोसेस करते हैं, जबकि सरकारी बैंक थोड़ा समय ले सकते हैं। इसलिए सुविधा और बजट दोनों को देखकर ही आगे बढ़ें।